Siskiya
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सर्वप्रथम मैं अपना परिचय देता हूँ, मैं राजस्थान में स्थित नागौर जिले के एक छोटे से गाँव दताऊ का रहने वाला हूँ। मेरे लिखने की शुरुवात करीब करीब आज से 13 वर्ष पूर्व हुई थी। सबसे पहले मैंने गीतों से शुरुवात की थी, वो बिना धुन के गीत जो अब भी मेरी डायरियों में ज्यों के त्यों पड़े है क्योंकि उन्हें मंज़िल नसीब नहीं हुई। खैर बात इस किताब की करें तो सबसे पहले मैं शुक्रिया अदा करूँगा मेरे प्रकाशक मनमोहन शर्मा जी का जिन्होंने मुझे मौका दिया ताकि मैं मेरे ख्यालों को, मेरी सोच को आप सब के साथ बाँट सकूँ।
इस किताब में कुछ चुनिंदा ग़ज़लें और कविताएं है जो आज से 10-12 साल पहले लिखी गई। कुछ इन विगत वर्षों में लिखी गई। मेरा मानना है कि एक शायर को कवि को लेखक को सबसे ज्यादा कल्पना और विषय कुदरत से मिल सकता है उतना कहीं से नहीं मिलता जैसे कि बरसात, नदियां, पहाड़, धूप इत्यादि और मेरी ग़ज़लों में कविताओं में और नज़्मों में इनकी उपस्थिति कुछ ज्यादा ही मिलेगी। इनके बाद ऐसी नायिका जो कभी आपसे दूर हो जाती है, कभी आपके करीब हो जाती है और उस दूरी में और नज़दीकी में आप कैसा महसूस करते हो और उसे कि अंदाज़ में कहते हो बस वही मैंने किया है, मेरी कुछ ग़ज़लों में और कविताओं में। तीसरी चीज़ आती है समाज, घर, परिवार और रिश्ते ये सब आपके सुबह उठने से लेकर सोने तक साथ रहते हैं और आपके साथ उनका बर्ताव और फिर आप कैसे उन एहसासों से गुजरते है और उसको कैसे बयां करते है कुछ हद तक मैंने यही किया है।

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